रिमझीम बारिश की बूंदों ने,

फिर से बचपन लौटा दिया,

मिट्टी की सोंधी खुश्बू ने,

मन प्रफुल्लित कर दिया,

बूंदों की छमछम पायल ने,

नृत्य धरा से विभोर किया,
संग चलती मंद पुरवईया ने,

शीतल तन और मन किया,

बीते बचपन की यादों को बारिश ने,

जैसे जीवंत किया,

है दूर गरजते बदल ने,

ये पैगाम मुझतक पहुँचा दिया,
है बाकि बचपन तुझमें अभी, 

गरज चमककर बता दिया,

जैसे माँ ने अपने बच्चे को,

गोद बिठाकर नैहला दिया,
दिन बीते बहुत सही,

पर प्रकर्ति ने मुझको यह अहसास दिया,

अपनी बूंदो से छूकर माँ ने,

प्यार से मुझको सैहला दिया,
अनात नही हूँ मैं,

मध्यम धुप और हवा के आँचल से, 

मुझको यह समझा दिया, 

रिमझीम बारिश की बूंदों ने,

फिर से बचपन लौटा दिया।
लेखकः अजित कुमार वर्मा।